7 मुखी रुद्राक्ष
7 मुखी रुद्राक्ष(7 Mukhi Rudraksha) की सतह पर 7 प्राकृतिक
धारियां
होती
हैं।
इसमें
अन्य
रूपों
के
विपरीत
भगवान
शिव
के
अनंग रूप को दर्शाया गया है। यह मनका सप्तमातृकाओं
द्वारा
और
धन
की
देवी
मां
लक्ष्मी
के
आशीर्वाद से युक्त होता है, जो इसे और भी अधिक शक्तिशाली
और
लाभों
से
युक्त
बनाता
है।
सातमुखी
रुद्राक्ष
का
अधिपति
ग्रह
शनि है, जो अनुशासन और कर्मों
पर
गहरी
नजर
रखता
है।
यदि
आपकी
जन्मकुंडली
में
शनि
कमजोर
स्थिति
में
है
तो
आप
इसे
धाऱण
करके
नकारात्मक
प्रभावों
को
कम
कर
सकते
हैं।
नेपाल
में
7 मुखी
रुद्राक्ष
उच्च
गुणवत्ता
का
पाया
जाता
है।
यह
पहनने
वाले
को
अनुदान
देने,
अपने
भीतर
शक्तियों
का
एहसास
करने
और
सर्वोत्तम
तरीके
से
उनका
उपयोग
करने
के
लिए
जाना
जाता
है।
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जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारी शारीरिक ऊर्जा और सीधे ब्रह्मांडीय
ऊर्जा से जुड़ी होती है और ब्रह्मांड में होने वाली हलचल से मानव जीवन को अत्यधिक प्रभावित
करता
है।
वैदिक
ज्योतिष
के
अनुसार,
ग्रहों
की
चाल
प्रत्येक
व्यक्ति
के
जन्मकुंडली
में
जीवन
की
विभिन्न
पहलुओं
को
प्रभावित
करता
है।
ग्रह
राशिनुसार
अपनी
प्रकृति
बदलते
रहते
हैं
और
जीवन
के
कई
पहलुओं
पर
यह
सकारात्मक
और
नकारात्मक
प्रभाव
डालते
हैं।
7 मुखी रुद्राक्ष
(7 Mukhi Rudraksha) किसी
के
जीवन
से
दुर्भाग्य
को
दूर करने के लिए जाना जाता है। ज्योतिष के अनुसार,
मारक
ग्रह
की
दशा
होने
पर
इस
रुद्राक्ष
को
धारण
किया
जा
सकता
है
यह
रक्षा
कवच की तरह कार्य करता है और अकाल
मृत्यु
के
भय
से
भी
मुक्त
करता
है।
यह
रुद्राक्ष
शरीर
की
सप्त
धातुओं
की
रक्षा
करता है और मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त
करता
है।
यह
रुद्राक्ष
पुनर्जन्म
के
पापों
को
दूर
करने
में
मदद
करता
है।
यह
आपको
अतीत
की
बुरी
यादों
को
दूर
करने
में
मदद
करता
है
और
आपको
वर्तमान
में
जीने
के
लिए
प्रोत्साहित
करता
है।
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7 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे
समाजसेवा, शासन-प्रशासन, सत्ता
या
राजनीती
में
सफलता
मदद
करता
है
7मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि
रुद्राक्ष को अपने पैसों से ही खरीदें
वरना
आपको
लाभ
प्राप्त
नहीं
हो
सकेगा।
ज्योतिषी
के
निर्देशों का पालन करें औऱ इस चमत्कारी
मनका
से
लाभ
उठाएं।
पहनने का दिन: 7 मुखी रुद्राक्ष को शनिवार
को
पहनने
के
लिए
कहा
जाता
है
क्योंकि
इसका
मुख्य
उद्देश्य
शनि
के
प्रभाव
को
कम
करना
है।
दूसरी
ओर
यदि
आप
इसे
शुक्रवार को पहनते हैं तो यह जीवन में समृद्धि
को
आकर्षित
करता
है।
इसे
सुर्योदय
से
पहले
उठकर
स्नानादि
करने
के
पश्चात
घर
की
पूर्व
दिशा
में
बैठकर “ॐ
हूँ नमः” का 108 बार जाप करना चाहिए।
इसके
अलावा
इसे
धारण
करने
के
पश्चात
प्रतिदिन
पांच
माला
इस
मंत्र
का
जाप
करना
चाहिए।
दिन पांच माला ऊँ नम: शिवाय का जाप करना चाहिए।



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