दो मुखी रुद्राक्ष को भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का स्वरूप माना गया है। प्राचीन पौराणिक कथानुसार, भगवान ब्रह्मा ने दोनों देवताओं को इतना करीब आने का आशीर्वाद दिया कि वे शिव-पार्वती एक दूसरे में ही विलीन हो गए और उन्हें अर्धनारीश्वर कहा जाने लगा। आमतौर पर रुद्राक्ष को भगवान शिव का अवतार कहा जाता है इसे एशिया व अन्य देशों में भी लोग धारण करते हैं। यह रुद्राक्ष प्रेम संबंधों और वैवाहिक जीवन के लिए अत्यधिक लाभकारी होता है। यह रुद्राक्ष अर्धनारीश्वर का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अलावा इसका स्वामी चंद्रमा ग्रह है। आपकी जन्मकुंडली के अनुसार, चंद्रमा कमजोर है, तो यह आपके जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। यह आपको बेचैन कर सकता है या एकाग्रता में कमी कर सकता है और जीवन में दुर्भाग्य भी ला सकता है।
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माना जाता है कि 2 मुखी रुद्राक्ष जीवन में सद्धाव लाता है, प्रेमियों और रिश्तेदारों के बीच एक अच्छी समझ को बढ़ावा देता है। इसे चंद्र और सूर्य का प्रतीक माना जाता है। 2 मुखी रुद्राक्ष पहनना व्यक्ति को उद्देश्यपूर्ण बनाता है और जीवन में अपने लक्ष्यों का एहसास कराता है। यह मन और आत्मा के एकीककरण का दिव्य रूप है, यह आंतरिक आनंद, खुशी और धन प्रदान करता है।
आमतौर पर रुद्राक्ष का ज्योतिष से कोई सीधा संबंध नहीं है, लेकिन भगवान शिव के आशीर्वाद से इसका ज्योतिषीय महत्व बन जाता है। इसे धारण करने से पाप से मुक्ति और विभिन्न रोंगों से छुटकारा पाने के लिए धारण किया जाता है।
दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लाभ
इसको धारण करने
से दांपत्य
जीवन सुखी
रहता है।
यह पहनने
वाले के
अन्तर्मन को
ठीक करता
है और
सदैव पित्त
को शांत
रखता है
जिन लोगों
को अनिद्रा
की शिकायत
है उन्हे
दो मुखी
रुद्राक्ष धारण करना चाहिए
राहु के
दुष्प्रभाव को रोकने के लिए
भी इस
रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए
यह पहनने
वाले को
समाज में
मान-सम्मान
दिलाता है
यह रुद्राक्षधारी
के सौंदर्य
में वृद्धि
और उसकी
वाकशक्ति को
बढ़ाता है
यह दो
मुखी रुद्राक्ष
स्मृति हानि,
हृदय की
समस्याओं, श्वसन, यकृत और श्वास
समस्या जैसी
बीमारियों को ठीक करने में
मदद करता
है
गर्भवती महिलाओं
को इस
रुद्राक्ष की आराधना करनी चाहिए।
इससे काफी
लाभ मिलता
है।
यदि यह
प्रतिकूल स्थिति
में है
तो यह
चंद्रमा के
प्रभाव को
दूर करता
है
यह धारक
की भावनात्मक
स्थिरता में
सुधार करता
है
यह धारक
के जीवन
के सभी
पहलुओं में
सकारात्मकता प्रदान करता है
यह उन
जोड़ों के
लिए उपयुक्त
है जो
बच्चे पैदा
करने की
योजना बना
रहे हैं
यह पहनने
वाले को
आंतरिक आनंद
और रचनात्मकता
प्रदान करता
है
यह यौन
समस्याओं को
ठीक करने
या जीवन
से बेवफाई
को दूर
करने में
मदद करता
है
यह आपकी
मांसपेशियों को मजबूत करता है
यह जीवन
से तनाव
और पीड़ा
को दूर
करता है
यह निर्णय
लेने की
क्षमता में
सुधार करता
है
इसे पेडेंट या ब्रेसलेट के रूप में पहना जा सकता है। आप इसे उस स्थान पर भी रख सकते हैं जहां आप पूजा करते हैं। सुनिश्चित करें कि रुद्राक्ष पहनने से पहले इसे अभिमंत्रित करना बहुत जरूरी है, अन्यथा आप इसके लाभों को प्राप्त नहीं कर पाएंगे। इसे रविवार को सुबह स्नानादि और पूजा-अर्चना के बाद धारण करना चाहिए। इस पहनने से पहले गंगाजल या कच्चे दूध में डालकर रखना चाहिए। इसके बाद रुद्राक्ष मंत्र ‘ॐ ह्रीं नम:’ का 108 बार जाप करना चाहिए। दो मुखी रुद्राक्ष की माला ज्यादा शुभ मानी जाती है इसे रेशम या ऊन के धागे में पिरोकर माला के साथ चांदी या सोने में जड़ा हुआ पहनें।
नोट:
इसे
पहनने
के
बाद
रोजाना
कम
से
कम
9 बार
'उत्पत्ती
मंत्र'
का
जाप
करना
चाहिए
और
रात
को
सोने
से
पहले
इसे
उतार
देना
चाहिए।



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